History
महाविद्यालय की स्थापना सन १९६४ में बेरमो कोयलांचल के समाज सेवी एवं लब्ध प्रतिष्ठित मजदूर नेता श्री बिन्देश्वरी दुबे जी (भूतपूर्व मुख्य मंत्री, बिहार सरकार एवं भूतपूर्व श्रम मंत्री (भारत सरकार)) के द्वारा स्वर्गीय श्री कृष्ण बल्लभ सहाय (भूतपूर्व मुख्य मंत्री, बिहार सरकार) के नाम पर की गयी | जहाँ एक ओर तत्कालीन महाप्रबंधक श्री के० एस० आर० चारी एवं स्वर्गीय श्री मुकुंद लाल चंचनी जैसे संस्थापको की समर्पित सेवा माननीय दुबे जी का महाविद्यालय स्थापना में संबल था वही उन्ही के सद्प्रयास से श्री भगवान दास चंचनी, श्री श्री लक्ष्मी नारायण ट्रस्ट, होसा मेमोरिअल ट्रस्ट, डी० भी० सी० एवं एन० सी० डी० सी० से प्राप्त आवश्यक मासिक एवं तदर्थ आर्थिक अनुदान कॉलेज में अध्ययन - अध्यापन की ठोस आधारशिला की संरचना में सहायक हुआ |
अस्तु, महाविद्यालय अपने संस्थापक प्राचार्य श्री रामनंदन प्रसाद के दिग्दर्शन से सिंह चंचनी के प्रशाखा भवन, करगली से अपनी यात्रा प्रारंभ कर अपने वर्तमान भवन एवं परिसर में सन १९६५, जून में आया | कॉलेज को अपना वर्तमान परिसर क्षधेय दूबेजी के भगीरथ प्रयास से तत्कालीन एन० सी० डी० सी० के सौजन्य से प्राप्त हुआ | कॉलेज में स्नातक कला की पढाई वर्ष १९६५ से प्रारंभ हुई और विज्ञान संकाय महाविद्यालय में सन १९६७ में डी० भी० सी० एवं एन० सी० डी० सी० (वर्तमान में सी० सी० एल०) के उदार आर्थिक अनुदान से जोड़ा गया | संस्थापक सचिव दूबेजी के प्रोत्साहन, पूर्ण मार्गदर्शन एवं प्राचार्य श्री रामनंदन प्रसाद के सद्प्रयासों का सह परिणाम था कि साठ के दशक के अंत होते- होते कॉलेज में सरकार कि अनुमति से कला के कई एक विषयों में प्रतिष्ठा स्तर तक की पढाई शुरु हो गई थी |.
महाविद्यालय प्रशासिका की विशिस्थाता रही कि उसने अपने शिक्षको के अन्दर पढ़ने - लिखने कि रूचि को पुष्पित, पल्लवित एवं प्रोत्साहित किया जिसके फलस्वरूप इस कॉलेज के अनेक शिक्षको ने न केवल शोध डिग्रिया हासिल कि बल्कि इनके मार्गदर्शन में अनेक शोधकर्ताओ ने पी० एच० डी० उपाधिया हासिल की| इस तरह धीरे धीरे कॉलेज अपने संरक्षकों के मदुर संरक्षण में प्रगति कर शिखर की ओर बढ़ता हुआ सन १९८० में बिहार सरकार के द्वारा रांची विश्वविद्यालय की अंगीभूत इकाई के रूप में स्वीकृत कर लिया गया और उसी वर्ष विश्व्विद्यालय ने इसका अधिग्रहण कर लिया | तदुपरांत १७.०९.१९९२ को यह विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग की अंगीभूत इकाई बन गया | बेरमो कोयलांचल के इस महाविद्यालय में वैसे तो विज्ञानं एवं कला संकायों में कुछ समय तक स्नातकोतर स्तर की भी पढाई होती रही, किन्तु सम्प्रति इन दोनों संकायों के सभी विषयों में प्रतिष्ठा स्तर तक पढाई की उत्कृष्ट वाव्स्था है |
पाठ्येतर क्रिया कलापों में इस महाविद्यालय ने विश्वविद्यालय से राज्य स्तर तक अपनी पहचान स्थापित की है | इस महाविद्यालय को विकास के चरम तक पहुचाने में पूर्व प्राचार्यो स्व. राम नंदन प्रसाद, स्व. आर. एश. वाजपेयी, श्री आर. पी. सिंह, प्रो. दशरथ राजहंस, डॉ. डी. मिश्र, डॉ. डी. के. वर्मा, डॉ. एस. के. शर्मा, प्रो. एल. पी. यादव एवं डॉ. एन. रजवार तथा प्रभारी प्राचार्यो में प्रो. यू. एन. मिश्र, डॉ. ए. के. सिन्हा, डॉ. एस. आई. अहमद, एवं प्रो. वाई. एन. मिश्र का उल्लेखनीय योगदान रहा है | कृष्ण वल्लभ महाविद्यालय, बेरमो के उतरोतर विकास में यहाँ के माननीय सांसद रविन्द्र कुमार पाण्डेय तथा माननीय विधायक सह नेता प्रतिपक्ष झारखण्ड विधान सभा श्री राजेंद्र प्रसाद सिंह का सतंत योगदान रहा है | महाविद्यालय परिवार आगे भी इन महानुभावों से सहयोग की अपेक्षा रखता है | जनवरी /२०११ में वर्तमान प्राचार्य डॉ. आर. बी. सिंह के योगदान के बाद इस महाविद्यालय में पठन-पाठन के लिए एल. सी. डी. प्रोजेक्टर कंप्यूटर आदि की व्यवस्था की गई है |
छात्र - छात्राओ को गुनवतापूर्ण शिक्षा देने के लिए अपने लक्ष्य के प्रति डॉ. सिंह कटिबद्ध है | इनकी देखरेख में दूर - दराज से आने वाली छात्राओ के लिए महिला छात्रावास निर्माणाधीन है | महाविद्यालय में सुसजित स्टेडियम एवं वालीवाल कोर्ट के लिए यू० जी० सी० को प्रस्ताव भेजा जा चूका है | अत्याधुनिक प्रशासनिक भवन के निर्माण के लिए भी मानव संसाधन विकास विभाग, झारखण्ड सरकार को प्रस्ताव भेजा जा रहा है | रोजगारोन्मुखी शिक्षा जैसे बी० एड०, बी० बी० ए० आदि तथा वाणिज्य संकाय की पढाई अगले सत्र से संभावित है | समाज शास्त्र एवं क्षेत्रीय भाषा खोरठा की पढाई भी निकट भविष्य में शुरु होने जा रही है | वर्तमान प्राचार्य की देख-रेख में महाविद्यालय नित नई ऊंचायों को प्राप्त करता जा रहा है | महाविद्यालय परिवार को पूर्ण विश्वास है क़ि अपने वर्तमान प्राचार्य डॉ. सिंह के संरक्षण में यह महाविद्यालय शिक्षण जगत में मनोनुकूल कीर्तिमान स्थापित करने में सफल होगा |
महाविद्यालय परिवार
के० बी० कॉलेज, बेरमो